रावण न करता ये गलती तो भारत का ये प्रसिद्ध धाम श्रीलंका में होता।

पौराणिक कथा के अनुसार त्रेता युग में लंका के राजा रावण ने कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की तपस्या की। कोई फल न मिलने पर दशानन ने घोर तपस्या प्रारंभ की तथा अपना एक-एक सिर काट कर हवन कुंड में आहूति देकर शिव को अर्पित करना शुरू किया। दसवां और अंतिम सिर कट जाने से पहले शिवजी ने प्रसन्न होकर रावण का हाथ पकड़ा लिया। उसके सभी सिरों को पुनस्थापित कर शिव ने रावण को वर मांगने को कहा।............... 🚩
रावण ने कहा कि आपके शिवलिंग स्वरूप को लंका में स्थापित करना चाहता हूं। आप दो भागों में अपना स्वरूप दें और मुझे अत्यंत बलशाली बना दें। शिवजी ने तथास्तु कहा और लुप्त हो गए। लुप्त  होने से पहले शिव जी ने अपने शिवलिंग स्वरूप दो चिन्ह रावण को देने से पहले कहा  कि इन्हें जमीन पर न रखना।.......🚩
रावण दोनों शिवलिंग लेकर लंका को चला। रास्ते में ‘गौकर्ण’ क्षेत्र बैजनाथ में पहुंचने पर रावण को लघुशंका का आभास हुआ। उसने ‘बैजु’ नाम के एक ग्वाले को सब बात समझाकर शिवलिंग पकड़ा दिए और शंका निवारण के लिए चला गया। शिवजी की माया के कारण बैजु उन शिवलिंगों के भार को अधिक देर तक न सह सका और उन्हें धरती पर रखकर अपने पशु चराने चला गया।......🚩
इस तरह दोनों शिवलिंग वहीं स्थापित हो गए। जिस मंजूषा में रावण ने दोनों शिवलिंग रखे थे, उस मंजूषा के सामने जो शिवलिंग था, वह ‘चंद्रताल’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ और जो पीठ की ओर था, वह ‘बैजनाथ’ के नाम से जाना गया।

#temple #history #HimachalPradesh #phoneclicks

Comments

Popular posts from this blog

🛕 Baijnath Himachal Pradesh.

मकर सक्रांति बैजनाथ हिमाचल प्रदेश

Famous Art Gallery Andreta Palampur Himachal Pradesh